खाने को दो खीर कदम खाने को दो मालपुआ, खाने को देना पेड़े माँग रही हैं बड़ी बुआ!
बड़ी बुआ ने खाया सब बड़े पलँग पर बैठीं अब। अब क्या लेंगी बड़ी बुआ, शायद माँगेंगी हलुआ।
हिंदी समय में श्रीप्रसाद की रचनाएँ